Thursday, April 30, 2020

Rishi Kapoor Last Video Inside Hospital before he left Us | Rishi Kapoor Viral Video in hospital

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5 Most Terrifying Skywalks in the World | 5 Most Insane Amusement Rides Around The World | Subrozon

ये है दुनिया का सबसे खतरनाक पुल, जाना तो छोड़ो देखकर ही लोगों के निकल जाती है चीख



दुनियाभर में ऐसी इमारतों की कमी नहीं है जो अपने आप में बेहद खास हैं. इन्हीं में से कुछ ब्रिज यानी पुल भी हैं जिन्हें दुनिया का सबसे खतरनाक पुल माना जाता है. ऐसा ही एक पुल चीन के हुनान प्रांत में बना हुआ है.जिसकी गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक और डरावने पुलों में की जाती है. इस पुल पर जाना तो दूर इसे देखते ही लोगों की हालत खराब हो जाती है. उनके पसीने छूट जाते हैं.World's most dangerous bridge coiling dragon cliff skywalk in ...
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इस पुल को दुनिया के सबसे खतरनाक स्काईवॉक में भी गिना जाता हैजिसे साल 2016 में लोगों के लिए खोला गया था. इस पुल का नाम 'कॉइलिंग ड्रैगन क्लिफहै. इसे अगर 'मौत का पुलकहें तो गलत नहीं होगाक्योंकि यहां थोड़ी सी भी चूक का मतलब मौत होता है.
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इस शहर में डॉगी पालने के लिए लेना होगा लाइसेंस, वरना भरना पड़ेगा भारी जुर्मानाइस पुल पर चलने की बहुत कम लोग ही हिम्मत कर पाते हैं. हालांकि रोमांच के शौकीन लोग इस पुल पर चहलकदमी करने पहुंचते हैं.

Wednesday, April 29, 2020

दुनिया के 7 रहस्यमय स्थान जहाँ आपका जाना मना है | Mystery World | Dangerous place in the world | Subrozone

दुनिया के 7 रहस्यमय स्थान जहाँ आपका जाना मना है




 आज हम बात करेंगे 7 ऐसी जगह की, जहां किसी का भी इंसान का जाना मना है। जिनके पीछे छुपे हुए है बेहद अद्भुत रहस्य। तो चलिए जानते हैं इन रोचक रहस्य के बारे में।
ब्राजील का "स्नेक आइलैंड"


ब्राजील के एक शहर साओ पाउलो से लगभग 33 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, एक ऐसा टापू जहां इंसानों का जाना सख़्त मना है। इस जगह का नाम है स्नेक आइलैंड। यह एक छोटा सा आयरलैंड, दुनिया के सबसे जहरीले सांपों से भरा हुआ है। इस आइलैंड पर लगभग 4000 सांपों का बसेरा है। दोस्तों इस दुनिया का सबसे जहरीला सांप "गोल्डन लेंस हैड" भी यहाँ पाया जाता है। कहा जाता है यह साप अपने ज़हर की 1 ग्राम मात्रा से 50 लोगों की जान ले सकता है। ऐसे ही हजारों जहरीले सांपों की वजह से इंसान को यहाँ पर जाना बेहद खतरनाक है। ब्राजील में 1909 में इस आइलैंड पर एक लाइट हाउस बनवाया गया था। जिससे की पानी के जहाजों को इस आइलैंड से दूर रखा जा सके। इस लाइट हाउस की देखभाल एक परिवार करता था। लेकिन दुर्भाग्यवश यह परिवार भी यहां के सांपों की चपेट में आ गया और परिवार के सभी सदस्य मृत पाए गए। जिसके बाद राज्य सरकार ने इस लाइट हाउस को पूरी तरह से ऑटोमेट कर दिया। और इस आइलैंड को इंसानों के लिए हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया।
ओकिगहारा जापान


जापान के माउंट फ़ूजी की तलहटी में स्थित है और "ओकिगहारा" जिसे सुसाइड फॉरेस्ट और "सी ऑफ़ ट्रीज" के नाम से भी जाना जाता है। यह जंगल जापान की सबसे मशहूर सुसाइड साइट है। इस जगह पर सामूहिक आत्महत्या की कई घटना सामने आई है। 2003 में इस जगह से 105 डेड बॉडीज को निकाला गया था। इन हत्याओं की वजह से जंगल को भूतिया भी कहा जाता है। इसके अलावा इस जंगल में लूटपाट की गई घटनाएं सामने आई है। लेकिन आज तक किसी ने भी इन लुटेरों को नहीं देखा। इस जंगल का एक रहस्य और है कि यहां पर किसी भी प्रकार का आधुनिक उपकरण जैसे मोबाइल जीपीएस कंपास आदि काम नहीं करता है।
एरिया 51


एरिया 51 यूनाइटेड स्टेट्स नावड़ा के दक्षिणी भाग में स्थित है। वहां की सरकार की इस जगह पर सिर्फ एक एयरपोर्ट बेस होने का दावा करती है। यह जगह यूनाइटेड स्टेट्स के एयर फोर्स द्वारा सन 1995 में विमानों की टेस्टिंग के लिए बनाई गई थी। जहां एक तरफ यूएस मिलिट्री दावा करती है इस जगह को नए और हाईटेक विमानों के निर्माण रिसर्च के लिए प्रयोग किया जाता है, वहीं दूसरी और बहुत से लोगों का कहना है कि यहां पर दुर्घटनाग्रस्त UFO को रखा हुआ है। और यहां पर UFO और एलियन पर प्रयोग किया जा रहा है। एयरोस्पेस इंजीनियर "वॉड बुशमैन" जिन्होंने एरिया 51 के प्रोजेक्ट पर लंबे समय तक काम किया था। उन्होंने कुछ फोटो शेयर की। फोटो में दिखने वाली चीज इंसानो जैसी तो बिल्कुल नहीं लगती। एलियन में की गई ऑटोप्सी की एक वीडियो में सामने आयी जिससे "वॉड बुशमैन" के खुलासों को और ज्यादा प्रमाणिकता मिलती है। ऐसे ही कई दिलचस्प किस्से एरिया 51 के बारे में बहुत मशहूर है।
मास्को मेट्रो टू


रशिया के मास्को शहर में मौजूद अंडरग्राउंड मेट्रो रेल सिस्टम का नाम है "मास्को मेट्रो टू"। इस मेट्रो लाइन का निर्माण जोसफ स्टालिंग ने करवाया था। और उसका नाम भी B6 रखा गया। मेट्रो टू की लंबाई मॉस्को के पब्लिक नेटवर्क से भी ज्यादा है। जोसफ स्टालिंग ने इस मेट्रो लाइन का निर्माण जमीन से 50 से 200 मीटर की गहराई में किसने करवाया था। ताकि इस मेट्रो की सर्विस का आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल किया जा सके। यह मेट्रो रेलवे लाइन पर्सिडेन्ट ऑफिस को वहां के महत्वपूर्ण जगहों से जोड़ता है। जोसफ स्टालिंग ने इस रेलवे लाइन को न्युकिलर हमले से बचने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के मकसद से बनवाया था।
सेंटिनल आइलैंड


भारत के अंडमान निकोबार दीप समूह में स्थित है सेंटिनल आइलैंड। यह आइलैंड भारत के कुछ सबसे सुंदर आयरलैंड में से एक है। लेकिन इस आइलैंड पर कोई भी इंसान नहीं जा सकता, क्योंकि यहां रहते हैं सेंट निले ट्रैक। यह दुनिया की एकमात्र ऐसे लोग हैं, जो आज भी पाषाण योग का जीवन जी रहे है। इन्हें बाहर के लोगों का इस आइलैंड पर आना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। जिसकी वजह से आयरलैंड तक पहुंचना मुश्किल और खतरनाक है। इनसे संपर्क बनाने की की गई आज तक की हर कोशिश नाकाम नहीं है। क्योंकि जब भी कोई इस आइलैंड के आसपास आता है तो यह लोग उस पर तीर और भालो से उन पर हमला कर देते हैं। और उनके साथ वही सलूक करते हैं, जो यह लोग अपने शिकार के साथ करते हैं।
पोवेग्लिए आइलैंड


दोस्तों इटली के वैनेटिनियन लैगून में स्थित एक छोटा सा आइलैंड है जिसका नाम है पोवेग्लिए आइलैंड। सन 1348 में इटली और वेनिश में रोबोनिक प्लेग फैला हुआ था। उस समय इस आइलैंड का उपयोग बीमार और मरे हुए लोगों की डेड बॉडी को रखने और उन्हें जलाने के लिए किया जाता था। सन 1630 में यहां पर एक बार फिर ब्लैक टाइप नामक बीमारी फैल गया। और एक बार फिर इस जगह का उपयोग मुर्दाघर के रुप में किया गया। 1922 ईस्वी में इस जगह का नवीकरण किया गया। और यहां पर एक हॉस्पिटल बनाया गया, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इस जगह का भूतिया होने की खबर सामने आई। इस जगह पर प्लेग से फैले हुए लोगों की भटकती हुई आत्माओं के डर से इस जगह को एक बार फिर से बंद कर दिया गया।
कोको कोला वॉल्ट


आप सब ने कोका कोला के स्वाद का मजा तो लिया ही होगा। पर क्या आप सब के दिमाग में यह बात कभी नहीं आती की कितने स्वादिष्ट रेसिपी का आखिर राज क्या है? तो आपको जानकर यह हैरानी होगी कि कोकोकोला ने अपनी इस रेसिपी को आज तक राज बना रखा है। कोको कोला वॉल्ट जो कि अटलांटा में स्थित है। जिसे वॉल्ट टॉप सीक्रेट फार्मूला भी कहा जाता है। इस जगह पर कोकोकोला के सीक्रेट फार्मूले को 125 सालों से संभाल कर रखा गया है। कोको कोला में काम करनेवाले मुख्य दो,तीन लोगों के अलावा इस सीक्रेट फार्मूले की जानकारी किसी और के पास नहीं है। दोस्तों आप एक मोटी रकम चुकाकर इसके अंदर जा सकते हैं। लेकिन कोकोकोला के इस रहस्यमई रेसिपी तक आप तब भी नहीं पहुंच पायेंगें।

Monday, April 27, 2020

The Great Wall of China | Wall of China in hindi | दुनियाका एक सबसे गजब नमुना चीन कि दिवार | Mystery | Subrozone




चीन की विशाल दीवार: 22 रोचक तथ्य

पूरी दुनिया में 7 अजूबे माने जाते हैं जिनमें भारत का ताजमहल, ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा, हैंगिंग गार्डन ऑफ़ बेबीलोन, और चीन की दीवार इत्यादि शामिल हैं. चीन की दीवार अपने निर्माण के समय, मजबूती और पुराने इतिहास के कारण विश्व प्रसिद्द है. आइये इस लेख में चीन की दीवार के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं.
OCT 3, 2019 11:29 IST
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Great Wall of China
Great Wall of China



चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासकों के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 16 वीं शताब्दी तक बनवाया गया था. चीन की यह महान दीवार 2,300 से अधिक साल पुरानी है. यह दीवार दुनिया के सात अजूबों में गिनी जाती है.
आइये इस विश्व प्रसिद्द दीवार के बारे में कुछ और रोचक तथ्यों को जानते हैं.
1. चीन के पूर्व सम्राट किन शी हुआंग की कल्पना के बाद दीवार बनाने में करीब 2000 साल लगे.
2. इस दीवार का निर्माण किसी एक सम्राट द्वारा नहीं किया गया बल्कि कई सम्राटों और राजाओं द्वारा कराया गया था.
3. इस दीवार को 1970 में आम पयर्टकों के लिए खोला गया था.
4. इस दीवार की लंबाई 6400 किमी. है, ये दुनिया में इंसानों की बनाई सबसे बड़ी संरचना है.
5. दीवार को बनाते समय इसके पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल क‌िया गया था.
6. यह पूरी एक दीवार नहीं है बल्कि छोटे-छोटे हिस्‍सों से मिलकर बनी है.
7. इस दीवार में कई खाली जगहें भी हैं यदि इन खाली जगहों को भी जोड़ दिया जाये तो इसकी लम्बाई 8848 किमी. हो जाएगी.
8. इस दीवार की चौड़ाई इतनी हैं कि एक साथ 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गस्त कर सकते हैं.
Length of china wall
9. इस दीवार की ऊंचाई एक समान नही है किसी जगह यह 9 फुट ऊंची है तो कहीं पर 35 फुट ऊंची है.
10. इस दीवार से दूर से आते शत्रुओं पर नजर रखने के लिए कई जगह मीनारें भी बनायीं गयी थीं.
11. चीन की विशाल दीवार को दुश्मनों से देश की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल परिवहन और सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचाने के लिए किया जाने लगा था.
12. इस चीनी दीवार को देश की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन यह दीवार अजेय न रह सकी क्योंकि चंगेज खान ने 1211 में इसे तोडा और पार कर चीन पर हमला किया था.
13. चीनी दीवार को यूनेस्को ने 1987 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था.
14. 1960-70 के दशक में लोगों ने इस दीवार से ईंटें निकालकर अपने लिए घर बनाने शुरू कर दिए थे लेकिन बाद में सरकार ने सुरक्षा बाधा दी थी. हालाँकि चोरी आज भी होती है और तस्कर बाजार में इसकी एक ईंट की कीमत 3 पौंड मानी जाती है.
16. ग्रेट वॉल ऑफ चायना का एक तिहाई हिस्‍सा गायब हो चुका है. इसका कारण दीवार के सही रखरखाव की कमी के अलावा मौसम का प्रभाव और चोरी भी है.
17. ऐसा कहा जाता है कि इस दीवार को बनाने में जो मजदूर कड़ी मेहनत नही करते थे उन्हें इसी दीवार में दफना दिया जाता था.
18. आकंड़ों में अनुसार इसे बनाने में करीब 10 लाख लोगों ने जान गवाई थी. इसी कारण इस दीवार को दुनिया को सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है.
19. यह एक मात्र मानव निर्मित संरचना है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है.
great wall china space
20. चीनी भाषा में इस दीवार को ‘वान ली छांग छंग’ कहा जाता है जिसका मतलब होता है ‘चीन की विशाल दीवार’
21. लगभग 1 करोड़ पयर्टक हर साल इस दीवार को देखने के लिए आते हैं.
touorists at wall of china
22. बराक ओबामा, रिचर्ड निक्सन, रानी एलिज़ाबेथ II और जापान के सम्राट अकिहितो सहित दुनियाभर के करीब 400 नेता इस दीवार को देख चुके हैं.
तो ये थे चीन की विशाल दीवार के बारे में 22 बहुत ही रोचक तथ्य. उम्मीद है कि चीन की सरकार इस विश्व विरासत स्थल की सुरक्षा के लिए और पुख्ता कदम उठाएगी ताकि इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संभाल कर रखा जा सके.

Sunday, April 26, 2020

108 साल पहले डूबे टाइटैनिक के बारे में फैले पांच मिथक



टाइटैनिकइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionटाइटैनिक पर 1500 से ज़्यादा पुरुष, महिलाएं और बच्चों की मौत हुई थी.

फ़िल्म टाइटैनिक एक ऐसी रहस्यमयी कहानी थी जिसके अंत के कारण वो हमेशा चर्चा में रही.
फ़िल्म का अंत दर्दनाक होता है, जिसमें प्रेमिका को बचाने के लिए प्रेमी अपनी जान दे देता है और प्रेमिका अपनी पूरी ज़िंदगी यादों के सहारे बिता देती है.
1912 में इंग्लैंड के साउथहैम्पटन से अमरीका की तरफ़ चले इस जहाज़ की कहानी असल थी लेकिन जेम्स कैमरन ने उसमें डिकैप्रियो और केट विंस्लेट के रूप में प्रेम की अनोखी कहानी पिरोई .
106 साल पहले टाइटैनिक नाम का जहाज अपनी पूरी गति में था और आगे जाकर एक विशाल हिमखंड से टकरा गया. ढाई घंटे के बाद जहाज अटलांटिक महासागर में डूब गया. फिल्म टाइटैनिक इसी घटना पर आधारित थी.
इस हादसे में 1500 से ज्यादा पुरुष, महिलाएं और बच्चों की मौत हुई थी. टाइटैनिक के डूबने से पहले के घंटों में असल में क्या हुआ, इस बारे में कई मिथक और कहानियां हैं. और ज्यादातर लोगों की जानकारी ऐतिहासिक तथ्यों पर नहीं बल्कि इस घटना पर बनी फिल्मों का नतीजा हैं.
टाटैनिक फिल्म अमरीकन जेम्स कैमरन के निर्देशन में 1997 में बनी थी. 14 अप्रैल, 1912 में हुई घटना को एक बार फिर याद दिलाने के लिए 2012 में फ़िल्म थ्री डी इफेक्ट के साथ फिर से रिलीज़ की गई.
टाइटैनिक के रहस्यमयी डूबने के कारण उस पर कई फिल्में, डॉक्यूमेंट्री और कई मनगढ़ंत कहानियां बनी.
चलिए एक नजर डालते हैं टाइटैनिक के बारे में फैले पांच सबसे आम मिथकों पर.

'जो जहाज़ डूब नहीं सकता था'



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Image captionव्हाइट स्टार लाइन कंपनी ने कभी नहीं कहा था कि टाइटैनिक डूब नहीं सकता.

फ़िल्म टाइटैनिक में हिरोइन रोज की मां साउथ इंग्लैंड के एक शहर साउथहैम्पटन बंदरगाह पर खड़े जहाज़ को देखकर कहती है, "तो ये है वो जहाज़ जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसका डूबना नामुमकिन है."
लेकिन लंदन के किंग्स कॉलेज के रिचर्ड हॉवेल्स का कहना है कि टाइटैनिक के बारे में शायद ये सबसे बड़ा मिथक है.
वे कहते हैं, "लोग भले ही कुछ भी समझते हों और ऐसे मिथक एक कहानी गढ़ने के लिए काफ़ी है, लेकिन जहाज की मालिक कंपनी, व्हाइट स्टार लाइन, ने कभी भी ऐसा दावा नहीं किया था और असल में तो इसके डूबने से पहले तक किसी ने ऐसी कोई बात भी नहीं लिखी थी."
बैंड का आख़िरी गीत
विभिन्न टाइटैनिक फिल्मों के यादगार दृश्यों में से एक में जहाज़ के डूबने के समय यात्रियों का मनोबल बनाए रखने के लिए बैंड को संगीत बजाता दिखाया गया है.
बैंड आख़िरी समय में 'नियरर, माई गॉड, टू दी' प्रार्थना का संगीत बजा रहा है. फ़िल्म के मुताबिक इनमें से कोई वादक हादसे में जीवित नहीं बचा.


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ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट के आर्काइव क्यूरेटर साइमन मैककुलम कहते हैं कि ये एक बहस का मुद्दा है कि बैंड का अंतिम गाना कौन सा था.
वे बताते हैं, "कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बैंड उस समय साहस बढ़ाने के लिए लोकप्रिय संगीत की धुनें बजा रहा था. असल में आख़िरी धुन कौन सी थी, इस बारे में हम कभी भी पता नहीं कर पाएंगे क्योंकि सातों वादक मारे गए. इस प्रार्थना का इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि इससे फ़िल्म की एक रुमानी छवि बनती है."
कैमरन की फ़िल्म के सलाहकार के रूप में काम करने वाले और टाइटैनिक हिस्टोरिकल सोसाइटी के सदस्य पॉल लाउडेन-ब्राउन का कहना है कि 1958 की फ़िल्म 'ए नाइट टू रिमेंबर' में संगीतकारों का दृश्य इतना अच्छा लगा कि निर्देशक ने इसे दोहराने का फ़ैसला किया.

कप्तान स्मिथ की मौत

इसी तरह टाइटैनिक के कप्तान एडवर्ड जे. स्मिथ के अंतिम क्षणों के बारे में भी बहुत कम जानकारी है. हालांकि हिमखंड होने की चेतावनियों को नजरअंदाज़ करने और जहाज़ की गति कम नहीं करने के बावजूद उन्हें एक हीरो के तौर पर देखा जाता है.
लाउडेन-ब्राउन मानते है कि फ़िल्म में दिखाई उनकी छवि उन्हें पसंद नहीं, क्योंकि "वे जानत थे कि जहाज़ में कितने लोग सवार हैं और कितनी लाइफ़बोट है फिर भी उन्होंने नावों को पूरी तरह भरे न होने के बावजूद जाने दिया."
उन्होंने बताया कि पहली लाइफ़बोट पर केवल 27 लोगों को ही भेजा गया, जबकि उसमें 65 लोग आ सकते थे. कई लाइफ़बोट आधी खाली ही भेज दी गई थी, जो बाक़ी के यात्रियों के लेने वापस नहीं लौटी.
लाउडेन-ब्राउन आगे बताते है, "जो कुछ हुआ उसके लिेए केवल स्मिथ ही ज़िम्मेदार हैं."
कप्तान ने सवार लोगों को जहाज़ छोड़ने का एक सामान्य सा आदेश दिया था. उन्होंने ये नहीं बताया था कि टाइटैनिक ख़तरे में हैं. बाहर निकलने के लिए आपातकालीन स्थिति में निकास की कोई योजना नहीं थी.


टाइटैनिक के कप्तान एडवर्ड जे. स्मिथइमेज कॉपीरइटWIKIPEDIA
Image captionकोई नहीं जानता टाइटैनिक के कप्तान एडवर्ड जे. स्मिथ जहाज़ से कहां ग़ायब हो गए थे.

लंदन के राष्ट्रीय समुद्री संग्रहलाय के जॉन ग्रेव्स भी मानते हैं कि कोई नहीं जानता उस रात स्मिथ आख़िर कहां ग़ायब हो गए.

'खलनायक' जहाज़ मालिक

टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के मालिक जे ब्रूस इसमे के बारे में कई कहानियां हैं और लगभग सभी में उनकी तथाकथित कायरता के बारे में बताया गया है कि कैसे उन्होंने महिलाओं, बच्चों आदि सहयात्रियों को बचाने से पहले अपनी जान बचाने के लिए लाइफ़बोट में खुद चढ़ गए.
टाइटैनिक ऐतिहासिक संस्था के उपाध्यक्ष पॉल लॉडेन-ब्राउन कहते हैं कि इन आरोपों के पीछे इसमे और मशहूर अमरीकी अख़बार मालिक विलियम रैंडोल्फ़ हर्स्ट की पुरानी दुश्मनी हो सकती है.
हर्स्ट के अख़बार में एक सूची मारे गए लोगों के नामों की थी और दूसरी सूची, जो बचे लोगों की थी, उसमें केवल इसमे का नाम ही था. इसके चलते इसमे की अमरीका में बहुत बदनामी हुई थी.
लेकिन लॉडेन-ब्राउन, टाइटैनिक पर आधारित विभिन्न फ़िल्मों में जे ब्रूस इसमे को खलनायक की तरह दर्शाने, को ग़लत मानते हैं. 1912 में ब्रिटेन में जहाज़ के डूबने की वजह की जांच कर रही रिपोर्ट के अनुसार आख़िरी लाइफ़बोट में बैठने से पहले इसमे ने असल में कई यात्रियों की मदद की थी.


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Image captionम्यूज़ियम में रखा टाइटैनिक का नमूना

कैमरन की फ़िल्मों के लिए सलाहकार के रूप में काम करने वाली लाउडेन-ब्राउन का मानना है कि लोग जो देखना चाहते हैं उसी की उम्मीद करते हैं.
अपनी जान बचाने के कारण इसमे को कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और 1913 में वे रिटायर्ड हो गए.
'हाउ टू सर्वाइव द टाइटैनिक: द सिंकिंग ऑफ जे ब्रूस इसमे' के लेखक फ्रांसेस विल्सन कहते हैं, ''इसमे के साथ उनकी सहानुभूति है और वे इसमे को असाधारण परिस्थितियों के बीच साधारण इंसान के रूप में देखते हैं.''
वे कहते हैं कि हो सकता है कि उनके व्यवहार के कारण इसमे की छवि को इस तरह का दिखाया गया हो.
तृतीय श्रेणी के यात्री
जेम्स कैमरन की निर्देशित फ़िल्म टाइटैनिक का एक भावुक दृश्य है, जिसमें तृतीय श्रेणी के यात्रियों को जहाज के निचले हिस्से में ज़बरदस्ती रोका जाता है और उन्हें लाइफ़बोट तक पहुंचने से रोका जाता है.


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Image captionटाइटैनिक के लिए जेम्स केमरन को ऑस्कर दिया गया था.

किंग्स कॉलेज के रिचर्ड हॉवेल्स कहते हैं कि इस बात का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है.
ये सही है कि जहाज़ में तृतीय श्रेणी के यात्रियों को दूसरे यात्रियों से अलग रखने के लिए दरवाजे थे लेकिन ऐसा अमरीकी आप्रवासन क़ानूनों के अनुसार और संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए किया गया था ना कि जहाज डूबने के हालात में इन यात्रियों को लाइफ़बोट तक पहुंचने से रोकने के लिए.
असल में टाइटैनिक के तृतीय श्रेणी के ज़्यादातर यात्री बेहतर ज़िंदगी की तलाश में अमरीका जा रहे दुनिया भर के यात्री थे, जिनमें आर्मेनिया, चीन, इटली, रूस, सीरिया और ब्रिटेन के यात्री शामिल थे.
हॉवेल्स बताते है कि उन यात्रियों को अमरीकी क़ानून के तहत इन्हें ऐलिस द्वीप पहुंचने पर स्वास्थ्य जांच और आप्रवासन के लिए बाक़ी यात्रियों से अलग किया गया था.
प्रत्येक वर्ग को लाइफ़बोट सौंप दी गई थी.


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लेकिन ये जरूर था कि जहाज़ के तृतीय श्रेणी में लाइफ़बोट नहीं रखे गए थे.
तृतीय श्रेणी के यात्रियों को बाहर निकलने के लिए अपना रास्ता खुद ढूढ़ना पड़ा था. जहाज़ पर लाइफ़बोट पहले प्रथम और द्वीतीय श्रेणी के यात्रियों की दी गई.
बाद में ब्रिटिश जांच रिपोर्ट में पता चला कि टाइटैनिक उस समय अमरीकी आप्रवासन क़ानून के तहत काम कर रहा था. इसलिए तृतीय श्रेणी के यात्रियों जहाज़ के निचले हिस्से में बंद करके रखने के आरोप ग़लत साबित हुए.
हालांकि ब्रिटिश जांच में कोई भी तृतीय श्रेणी का यात्री गवाही के लिए नहीं गया था. लेकिन उनका प्रतिनिधित्व डब्ल्यूडी हरबिंसन नाम के वकील ने किया.
जब लाइफ़बोट पर जाने के आदेश मिले तो उसमें पहले महिलाओं और बच्चों को पहले जाने के लिए कहा गया था. जिसके बाद 115 प्रथम श्रेणी और 147 द्वीतीय श्रेणी के पुरूष पीछे हट गये थे, जो बाद में मारे गए.
अंतत: इस मामले का कोई सबूत नहीं मिल पाया जिससे साबित हो सके कि तृतीय श्रेणी के यात्रियों के साथ कोई दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया हो.
हालांकि तृतीय श्रेणी के एक-तिहाई से भी कम यात्री बच पाए, लेकिन लाइफ़बोट पर अहमियत देने के कारण महिलाओं की संख्या बचने वालों में ज़्यादा थी.
*यह मूल लेख टाइटैनिक के डूबने के 100 साल बाद 2012 में प्रकाशित किया गया था.